तब्लीग़ी जमात का परिचय, कोरोना के संदर्भ में
तब्लीग़ी जमात का परिचय,कोरोना के संदर्भ में
इस समय जब कि कोरोना वायरस का प्रकोप पूरे विश्व में पसरा हुआ है। भारत की कुछ मीडिया ने तब्लीग़ी फोबिया का शिकार हो कर भारत वासियों में यह भ्रम फैला रही है कि भारत में कोरोना वायरस का संक्रमण तब्लीग़ीयों के द्वारा फैलाया गया है।
इस विषय पर बाद में चर्चा होगी पहले जमात का परिचय कराते हैं।
तबलीगी जमात विश्व स्तर पर सुन्नी इस्लामी विधी (Method) अनुसार मुसलमानों को मूल इस्लामी पद्धतियों की तरफ़ बुलाने वाली या मार्ग दर्शक संगठन है।
इस संगठन की स्थापना इस प्रकार हुई कि "हज़रत मौलाना रशीद अहमद गंगोही के शिष्यों में एक से बढ़कर एक थे। हर ऐक शिष्य को उन की योग्यता अनुसार काम सौंपा। हज़रत मौलाना हुसैन अहमद मदनी को राजनीति में उतारा, हज़रत मौलाना मुफ्ती किफ़ायतुल्लाह को फतवा नवीसी के लिए चयन किया और हज़रत मौलाना मुहम्मद इल्यास कांधल्वी को इस्लाम धर्म की बातें फ़ज़ाइल ( पुण्य एवं गुण ) अनुसार बता कर मुसलमानों तक पहुंचाने के लिए चुना"।
हज़रत मौलाना मुफ्ती रशीद अहमद गंगोही के आदेश के बाद से हज़रत मौलाना इल्यास कांधल्वी (रहमतुल्लाह अलैहि ) बराबर चिंतित रहते कि किसी तरह सारे विश्व में इस्लाम धर्म का बोल बाला हो जाए, अल्लाह तआला को मौलाना की यह चिंता पसंद आई। चुनान्चह जब आप मदीना मुनव्वरा पहुंचे तो सपने में दुआ के दौरान आप से कहा गया कि ऐ मोलवी इल्यास! हम तुम से (दीन का) काम लेंगे।
चुनान्चह मौलाना बड़े बड़े मुफ्तियों के पास गए उन्होंने ने कहा, जब आप से कहा गया है कि हम आप से काम लेंगे तो कहने वाला खुद ले लेगा आप को चिंता करने की आवश्यकता नहीं।
खैर दावत -ओ- तब्लीग़ का काम शुरू करने से पहले हज़रत मौलाना ने मदीना मुनव्वरा में ही हज़रत सैयिदा फातमा बतूल (रज़ीयल्लाहु अन्हा) की पवित्र कुटिया में इस्तीख़ारा फ़रमाया।
तीन दिन तक हुज्रए बतूल में रहे, वहीं सो कर, रो रो कर दुआएं एवं प्रार्थनाऐं कीं तो हुज़ूर (सललल्लाहू अलैहि वसल्लम) का दर्शन हुआ। आप ने फ़रमाया:
"इल्यास! जा कर मेवातियों में और ग़रीबों में काम कर। इन्शा अल्लाह पूरी उम्मत इस काम में लग जाएगी। इल्यास तेरी यह मेहनत, तेरा यह तरीक़ा क़यामत तक जारी रहेगा"। चुनान्चह आप के माध्यम से अल्लाह ने जमातों को सहाबा की तरह दुवार दुवार फिरने की सुन्नत दोबारा जारी करवाई।
तब्लीगी जमात की स्थापना १९२६-२७ के दौरान हुई। मौलाना मुहम्मद इलियास ने इस काम की नींव रखी।
जमात का केन्द्र बस्ती हज़रत निज़ामुद्दीन औलिया में बनाया गया जो कि उस समय दिल्ली शहर से १० किलोमीटर दूरी पर था परन्तु अब दिल्ली शहर के अंदर समा गया है। जिस को "मर्कज़ निज़ामुद्दीन" के नाम से पूरे विश्व में जाना जाता है।
परंपराओं के अनुसार, मौलाना मुहम्मद इलियास ने लोगों को धार्मिक शिक्षा देकर दिल्ली से सटे मेवात में अपना काम शुरू किया। माना जाता है कि इस विचार वाले लोगों की संख्या १५० मिलियन है। (दक्षिण एशिया में इनकी संख्या अधिक है) और यह भी कहा जाता है कि १९५ देशों तक इस जमात की पहुंच है, परन्तु सत्यता तो यह है कि विश्व भर में इस संगठन के कार्य करता सक्रिय एवं कार्यरत हैं, विश्व का कोई कोना इस जमात की पहुंच से बाहर नहीं।
इस आंदोलन को १९२८ में मौलाना मुहम्मद इल्यास कांधल्वी ने भारत में शुरू किया था। इस का मूल उद्देश्य आध्यात्मिक इस्लाम को मुसलमानों तक पहुंचाना और फैलाना था।
इस जमात के मुख्य उद्देश्य "छ उसूल"
(कलिमा,नमाज़, इल्म, ज़िक्र, इकराम-ए-मुस्लिम, इख़्लास-ए-निय्यत) हैं।
तब्लीग़ी जमात के कार्य को धर्म प्रचार
आंदोलन माना गया है। हालांकि यह सही नहीं है। बल्कि इस संगठन, आंदोलन का उद्देश्य मुसलमानों को दीन इस्लाम की बातों पर प्रसंस्करण तथा कार्यरत कराना है।
अब आते हैं उस विषय पर जिस संदर्भ में बात शुरू हुई थी। "कोरोना वायर्स और तब्लीग़ी जमात", हांलांकि इस विषय पर यूट्यूब पर बहुत भारी मात्रा में मवाद एवं प्रतिक्रियाऐं उपलब्ध हैं कि इस वायर्स के भारत में फैलने की ज़िम्मेदारी, उत्तरदायित्व एवं जवाबदेहि सरकार की है। परन्तु अपनी रखैल मिडिया के माध्यम से सरकार अपनी असफलताओं का ठीकरा तब्लीग़ी जमात और जमात की आड़ में मुस्लिम समुदाय पर फोड़ रही है।
अब बात को अधिक लम्बी ना कर के केवल दो बातें करनी हैं।
९) मिडिया एवं सरकार से।
२) तब्लीग़ी साथियों से।
(१) मिडिया (सरकार की दासी, रखैल) एवं सरकार खुद यह अच्छी तरह जान ले कि चीन में इस महामारी के फैलने से लेकर भारत में अन्तर राष्ट्रीय यातायात बंद होने तक जितने भी भारतीय मुसलमानों एवं तब्लीग़ीयों तथा अन्य देशों के आए हुए तब्लीग़ीयों की कोरोना जांच करके देख ले किसी में भी पाॅज़ेटिव रिपोर्ट नहीं आएगी यह अलग बात है कि सांप्रदायिक दूरी (Communal Distance) पैदा करने के लिए ( Preplan ) सुनियोजित, योजना बद्ध तरीके से षड्यंत्र के अंतर्गत तब्लीग़ी जमात के विरुद्ध रखैल मिडिया द्वारा दुष्ट प्रचार किया गया।
मुसलमान तथा तब्लीग़ियों का यही सब से बड़ा चिन्ह् है कि वह किसी भी रोग से संक्रमित या ग्रस्त नहीं होता, बल्कि जुझारू प्रकार के रोगी भी जमात में जा कर स्वस्थ हो कर वापस आते हैं।
जो लोग कोरोना ग्रस्त थे यदि उन्हें सरकार जमात में भेज देती (भले ही वह नमाज़, रोज़ा न करते ) केवल जातियों का दर्शन और उन की सेवा करते तब भी वह स्वस्थ हो जाते।
यूं तो अभी तक भारत सरकार के पास कोरोना जांच का कोई विश्वस्नीय उपाय उपलब्ध नहीं है। बस अटकलों द्वारा जांच कर उपचार किया जा रहा है जो मृत्यु का कारण भी बन रहा है।
मैं स्पष्ट रूप से निसंकोच यह कह रहा हूं जिस से कोरोना ग्रस्त और दूसरे लोगों में अन्तर स्पष्ट हो जाएगा, वह यह है कि "यदि किसी को कोरोना संक्रमित या पाॅज़ेटिव घोषित किया गया है और फिर यह बताया गया कि उपचार के पश्चात वह रोगी स्वस्थ एवं ठीक होगया तो यक़ीन मानिए कि वह कोरोना वायर्स से संक्रमित नहीं था, बल्कि इन्फ्लूएंजा या नमूनिया ग्रस्त था, कोरोना के केवल दो (२)ही उपचार हैं:
(१) तब्लीग़ी जमात में निकलना।
(२) मृत्य।
बाक़ी सब छलावा है।
किसी भी राज्य एवं जनपद के Chief medical officer (मुख्य चिकित्सा अधिकारी) की अप्रैल माह (2020) के पहले सप्ताह की रिपोर्ट सूची देख लें एक भी तब्लीग़ी साथी कोरोना संक्रमित नहीं है। और ना उन के अंदर कोई र्दुयब्योहार है।
मैं साक्ष्य के तौर पर इस निबंध के साथ कुछ किलिप्स संलग्न करूंगा।
अलबत्ता कुछ लोगों ने जमात के लोगों के माहौल का ऑक्लन करने के लिए उन्हें क्वाॅरन्टीन किए गए केन्द्रों पर अपनी ड्यूटी लगवाया और उन्होंने उन के प्रति सकारात्मक प्रतिक्रिया व्यक्त किया है। जिस में मौलाना आजाद मेडिकल काॅलेज में ड्यूटी कर रही डाक्टर इशिता शर्मा भी हैं जो विषेश कर क़ाबिले ज़िक्र हैं। उन के ट्विटर अकाउंट से किलिप साक्ष्य के रूप में संलग्न की जा रही है।
वो लिखती हैं "हम भी दिल्ली में जमाती लोगों की देख रेख में लगे हैं अभी तक अश्लीलता तो दूर तेज़ आवाज़ तक नहीं सुनी इन लोगों की, मैं जान बूझ कर इन के वार्ड में ड्यूटी कर रही हूं ताकि इन के बारे में सही से जान सकूं, पर ये तो अजीब दुनिया के लोग हैं या तो ज़मीन के अंदर की बात करते हैं या ज़मीन के उपर (ईश्वर) की, मेरे तो होश ही गुम हैं कि कहा क्या जा रहा है और हक़ीक़त क्या है" ?
मिडिया एवं सरकार यदि इस ग़लत फ़हमी में है कि दुष्ट प्रचार से जमात का काम छति ग्रस्त हो जाएगा तो यह उन की भूल है।
मिडिया दिन में एक, दो बार या सौ बार नहीं बल्कि अगर एक करोड़ बार भी प्रतिदिन दुष्ट प्रचार करेगी तब भी उस के सम्मान, प्रतिष्ठा, श्रृद्धा और सत्कार में बाल बराबर फ़र्क़ नहीं पड़ेगा।
(२) और यह दूसरी बात तब्लीग़ी साथियों से कहनी है कि आप लोग मिडिया के प्रोपेगंडा एवं दुष्ट प्रचार से बिल्कुल परेशान ना हों, सब्र, शुक्र का प्रर्दशन करें जो लोग जहां भी क्वाॅरन्टीन किए गए हैं
अल्लाह ने उन्हें बहुत ही शुभ अवसर प्रदान किया है कि वह अपने क़्रन्तीना (क्वाॅरन्टीन केन्द्र ) में आए हुए लोगों तक दीन की बातें पहुंचाएं। विषेश रूप से ग़ैर इस्लामी एवं ग़ैर ईमान वाले भाईयों तक अल्लाह का संदेश पुर्ण रुप से,अमली अंदाज़ में पहुंचाने में प्रयासरत रहें। 'जादिलहुम बिल्लती हिअ अहसन' के अंतर्गत अपने आमाल, अख़्लाक़ , गुफ़्तार एवं र्किदार द्वारा वहां मौजूद लोगों को सम्मोहित करें।
मिडिया के प्रोपेगंडा एवं नकारात्मक रवैया से अपने अंदर ख़िफ़्फ़त महसूस ना करें। इज़्ज़त, ज़िल्लत अल्लाह के हाथ में है।
एक जगह अल्लाह का इरशाद है:
"قُلِ ٱللَّهُمَّ مَٰلِكَ ٱلۡمُلۡكِ تُؤۡتِي ٱلۡمُلۡكَ مَن تَشَآءُ وَتَنزِعُ ٱلۡمُلۡكَ مِمَّن تَشَآءُ وَتُعِزُّ مَن تَشَآءُ وَتُذِلُّ مَن تَشَآءُۖ بِيَدِكَ ٱلۡخَيۡرُۖ إِنَّكَ عَلَىٰ كُلِّ شَيۡءٖ قَدِير".
(हे नबी!) कहोः हे अल्लाह! राज्य के अधिपति (स्वामी)! तू जिसे चाहे, राज्य दे और जिससे चाहे, राज्य छीन ले तथा जिसे चाहे, सम्मान दे और जिसे चाहे, अपमान दे। तेरे ही हाथ में भलाई है। निःसंदेह तू जो चाहे, कर सकता है। (आल इम्रान: २६)
इसी प्रकार एक और स्थान पर अल्लाह फरमाते हैं:
"وَلِلّٰهِ ٱلۡعِزَّةُ وَلِرَسُولِهِۦ وَلِلۡمُؤۡمِنِينَ وَلَٰكِنَّ ٱلۡمُنَٰفِقِينَ لَا يَعۡلَمُونَ"
जबकि अल्लाह ही के लिए सम्मान हैं एवं उसके रसूल तथा ईमान वालों के लिए। परन्तु मुनाफ़िक़ जानते नहीं। (अलमुनाफ़िक़ून :८)
एक और स्थान पर अल्लाह का इरशाद है:
"أَيَبۡتَغُونَ عِندَهُمُ ٱلۡعِزَّةَ فَإِنَّ ٱلۡعِزَّةَ لِلّٰهِ جَمِيعا"
क्या वे उनके पास मान सम्मान चाहते हैं? तो निःसंदेह सब मान सम्मान अल्लाह ही के लिए है। (अन्निसा :१३९)
इस लिए साथियों घबराने की आवश्यकता नहीं है। वह दिन दूर नहीं जब आप देखेंगे कि आप के अच्छे ब्योहारों के कारण हमारे वतनी भाई जिन्हें अल्लाह ने अब तक हिदायत से महरूम रखा था, आप लोगों की कोशिशों को कबूल फरमाते हुए उन्हें जोक़ दर जोक़ हिदायत एवं ईमान से सम्मानित करेगा। इन शा अल्लाह.
तब्लीग़ी जमाऺत और इस से संबंध रखने वाले ब्यक्ति हर प्रकार के छति, नुक़सान से सुरक्षित रहते हैं। इस लिए कि इन के सभी कार्य आपसी सहमति, प्रामर्श एवं मश्रवरा से तय पाते हैं, और प्रामर्श में भलाई छोड़ छति का प्रश्न ही नहीं होता।
जब कि इस समिति, संगठन की तो स्थापना ही अल्लाह से मश्रवरा (इस्तिखारा) द्वारा की गई है, और इस्तिखारा अल्लाह के हुक्म के अंतरंग आता है।
जैसा कि अल्लाह का फरमान है:
"وَشَاوِرۡهُمۡ فِي ٱلۡأَمۡرِۖ فَإِذَا عَزَمۡتَ فَتَوَكَّلۡ عَلَى ٱللَّهِۚ إِنَّ ٱللَّهَ يُحِبُّ ٱلۡمُتَوَكِّلِينَ"
तथा उनसे भी मामले में प्रामर्श करो, फिर जब कोई दृढ़ संकल्प ले लो, तो अल्लाह पर भरोसा करो। निःसंदेह, अल्लाह भरोसा रखने वालों से प्रेम करता है। (आल इमरान: १५९)
आप मिडिया और उसके सहयोगियों के प्रोपेगंडा एवं दुष्ट प्रचार से बिल्कुल परेशान ना हों। कुछ छणों के लिए तो दिक़्क़त हो सकती है परन्तु आगे बहुत बड़ा लाभ मिलेगा, उन का पांसा उन्हीं पर उल्टा पड़ेगा और सारा घमंड धूल में मिल जाएगा। अल्लाह का फरमान है:
"ٱسۡتِكۡبَارٗا فِي ٱلۡأَرۡضِ وَمَكۡرَ ٱلسَّيِّيِٕۚ وَلَا يَحِيقُ ٱلۡمَكۡرُ ٱلسَّيِّئُ إِلَّا بِأَهۡلِهِۦۚ فَهَلۡ يَنظُرُونَ إِلَّا سُنَّتَ ٱلۡأَوَّلِينَۚ فَلَن تَجِدَ لِسُنَّتِ ٱللَّهِ تَبۡدِيلٗاۖ وَلَن تَجِدَ لِسُنَّتِ ٱللَّهِ تَحۡوِيلًا"
अभिमान के कारण धरती में तथा बुरे षड्यंत्र के कारण, और नहीं घेरता है बुरा षड्यंत्र, परन्तु अपने करने वाले ही को। तो क्या वे प्रतीक्षा कर रहे हैं पूर्व के लोगों की नीति की? तो नहीं पायेंगे आप अल्लाह के नियम में कोई अन्तर।
"أَوَلَمۡ يَسِيرُواْ فِي ٱلۡأَرۡضِ فَيَنظُرُواْ كَيۡفَ كَانَ عَٰقِبَةُ ٱلَّذِينَ مِن قَبۡلِهِمۡ وَكَانُوٓاْ أَشَدَّ مِنۡهُمۡ قُوَّةٗۚ وَمَا كَانَ ٱللَّهُ لِيُعۡجِزَهُۥ مِن شَيۡءٖ فِي ٱلسَّمَٰوَٰتِ وَلَا فِي ٱلۡأَرۡضِۚ إِنَّهُۥ كَانَ عَلِيما قَدِيرا"
और क्या वे नहीं चले-फिरे धरती में, तो देख लेते कि कैसा रहा उनका दुष्परिणाम, जो इनसे पूर्व रहे, जबकि वह इनसे कड़े थे बल में? तथा अल्लाह ऐसा नहीं, वास्तव में, वह सर्वज्ञ, अति सामर्थ्यवान है।
(फ़ातिर: ४३,४४)
मगर एसे प्रणाम देखने के लिए धीरज, प्रतिक्षा और धैर्य की आवश्यकता होती है, उतावली में एसा नहीं होता।
अब आप खुद ही देख लीजिए कि हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम ने फ़िरऔन और उसके सहयोगियों (प्रमुखों, दरबारियों, चैधिरियों) तथा उनके माल, दौलत के तहस नहस होने की दुआ की, दुआ तो अल्लाह ने फ़ौरन क़बूल कर लिया, जैसा कि आगे आने वाली आयत से साफ साफ ज़ाहिर है। मगर दुआ का असर ज़ाहिर होने और प्रणाम निकलने में ४० साल लग गए। (फ़िरऔन और उसके दरबारी ४० वर्ष पश्चात हलाक हुए)
इसलाम के अंदर अल्लाह ने तदरीज(धीरे धीरे होने) का मामला रखा है, ताजील (उतावला पन) शैतानी काम है।
"وَقَالَ مُوسَىٰ رَبَّنَآ إِنَّكَ ءَاتَيۡتَ فِرۡعَوۡنَ وَمَلَأَهُۥ زِينَةٗ وَأَمۡوَٰلٗا فِي ٱلۡحَيَوٰةِ ٱلدُّنۡيَا رَبَّنَا لِيُضِلُّواْ عَن سَبِيلِكَۖ رَبَّنَا ٱطۡمِسۡ عَلَىٰٓ أَمۡوَٰلِهِمۡ وَٱشۡدُدۡ عَلَىٰ قُلُوبِهِمۡ فَلَا يُؤۡمِنُواْ حَتَّىٰ يَرَوُاْ ٱلۡعَذَابَ ٱلۡأَلِيمَ"
और मूसा ने प्रार्थना कीः हे मेरे पालनहार! तूने फ़िरऔन और उसके प्रमुखों को सांसारिक जीवन में शोभा तथा धन-धान्य प्रदान किया है। तो मेरे पालनहार! क्या इसलिए कि वे तेरी राह से विचलित करते रहें? हे मेरे पालनहार! उनके धनों को निरस्त कर दे और उनके दिल कड़े कर दे कि वे ईमान न लायें, जब तक दुःखदायी यातना न देख लें।
قَالَ قَدۡ أُجِيبَت دَّعۡوَتُكُمَا فَٱسۡتَقِيمَا وَلَا تَتَّبِعَآنِّ سَبِيلَ ٱلَّذِينَ لَا يَعۡلَمُونَ*
अल्लाह ने कहाः तुम दोनों की प्रार्थना स्वीकार कर ली गयी। तो तुम दोनों अडिग रहो और उनकी राह का अनुसरण न करो, जो ज्ञान नहीं रखते। (यूनुस: ८८,८९)
13/4/2020
अबुल हसनात क़ासमी
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